VRIKSHASANA वृक्षासन
वृक्षासन का नाम ' वृक्ष ' शब्द पर से रखा गया है | इसका मतलब होता है पेड | इस आसन करते समय आप एक पेड की मुद्रा में खड़े होते हो, इसलिए इस आसन का नाम वृक्षासन रखा गया | ये आसन को दोनों पैरो से बारी - बारी करने से आपके टांगे मजबूत होते है |
यह आसन वृक्ष की शांत एवं स्थिर अवस्था को दर्शाता है | अन्य योगासनों के विपरीत इस आसन में हमें अपने शरीर के संतुलन को बनाये रखने के लिए आँखे खुली रखनी पड़ती हैं | नटराज आसन के समान यह आसन भी शारीरिक संतुलन के लिए बहुत ही लाभप्रद है | जहा एक और से हमारे शरीर के विभिन्न अंगो को लाभ पहुंचता है | जिन व्यक्तिओ को घुटनो में दर्द है उनको यह आसन जरूर करना चाहिए | यह आसन को प्रांत : काल में करने से इसका अधिक लाभ होता है | यह आसन उनलोगो को जरूर करना चाहिए जिनको अधिक चलना पड़ता है | इस आसन को करने से आपके पैरों को मजबूती मिलती है |
यह आसन वृक्ष की शांत एवं स्थिर अवस्था को दर्शाता है | अन्य योगासनों के विपरीत इस आसन में हमें अपने शरीर के संतुलन को बनाये रखने के लिए आँखे खुली रखनी पड़ती हैं | नटराज आसन के समान यह आसन भी शारीरिक संतुलन के लिए बहुत ही लाभप्रद है | जहा एक और से हमारे शरीर के विभिन्न अंगो को लाभ पहुंचता है | जिन व्यक्तिओ को घुटनो में दर्द है उनको यह आसन जरूर करना चाहिए | यह आसन को प्रांत : काल में करने से इसका अधिक लाभ होता है | यह आसन उनलोगो को जरूर करना चाहिए जिनको अधिक चलना पड़ता है | इस आसन को करने से आपके पैरों को मजबूती मिलती है |
वृक्षासन की विधि :
१) सबसे पहले दोनों पैर को पासमे रखते हुवे जमीन पर सीधे खड़े हो जाए |
२) अपनी दोनों हथेलियों को शरीर की दोनों तरफ रखे |
३) दायें घुटने को मोड़ें और दायें पैर के पंजे को बाईं जाँघ पर जितना हो सके इतना ऊपर टिकाये |
४) एड़ी ऊपर की तरफ हो और पंजे जमीन की तरफ रखे |
५) बांए पैर पर शरीर का सारा वजन संतुलित करते हुवे सीधे खड़े रहे |
६) अब दोनों बाजुओं को सीधा ऊपर उठाये और नमस्कार मुद्रा में ऊपर रखे |
७) इस मुद्रामे खड़े रहने में पहले थोड़ी परेशानी रहेगी पर बाद में स्थिरता आ जाएगी |
८) 30 से 60 सेकंड इस मुद्रा में रहे |
९) यह आसन को स्थिर करने के बाद श्वास को सामान्य कर दीजिए |
१० कुछ समय इस मुद्रा में रहने के बाद विधि पूर्वक वापस मूल स्थिति में आना है |
११) इसी तराह इस आसन को दूसरी और से दोहराएं |
वृक्षासन के फायदे :
१) यह आसन शरीर को सही आकार प्रदान करता है और पैरो और नितम्बो को मजबूत बनाता है |
२) मांसपेशियों को टोन करता है और भुजाओं को शक्ति प्रदान करता है |
३) वृक्षासन करने से रीढ़ की हाड़ियाँ मजबूत होती है और इससे दर्द दूर होता है |
४) यह आसन शरीर के संतुलन बनाने में भी मदद करता है |
५) इसके अलावा यह न्यूरो पेशी को भी बेहतर बनाने में सहायक है |
६) यह आसन का अभ्यास करने से आँख, कान और कंधो का अंदरूनी हिसा मजबूत बनता है |
७) इस आसन का प्रतिदिन अभ्यास करने से मस्तक को शांति मिलती है और आपका दिमांग शांत रहता है |
८) यह आसन पुरे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता है |
सावधानी :
१) यदि आपके सिर में दर्द, कम रक्तचाप , या हाई बीपी है तो वृक्षासन न करे |
२) यदि आपको अनिंद्रा हो तो वृक्षासन न करें |
३) यदि आपके घुटनो में दर्द हो तो यह आसन न करें |
४) अगर आपका ब्लड प्रेशर बहुत कम है तो यह आसन न करें |
५) यह आसन करने से पहले किसी योग विशेज्ञ की सलाह ले |
योग में माना जाता है की अस्थिर मन, शरीर को भी अस्थिर बना देता है इसलिए आप जितना अपने मन पर नियंत्रण रख पाते है, उतनी ही आसानी से यह आसन को कर सकते है | वृक्षासन को करते समय किसी वस्तु का सहारा न ले, थोड़ा समय लेकर आप यह आसन करें | प्रतिदिन आप इस आसन को करें, धीरे धीरे आपको इस आसन का अभ्यास हो जाने पर आप इसे आसानी से कर सकेंगे |
योग में माना जाता है की अस्थिर मन, शरीर को भी अस्थिर बना देता है इसलिए आप जितना अपने मन पर नियंत्रण रख पाते है, उतनी ही आसानी से यह आसन को कर सकते है | वृक्षासन को करते समय किसी वस्तु का सहारा न ले, थोड़ा समय लेकर आप यह आसन करें | प्रतिदिन आप इस आसन को करें, धीरे धीरे आपको इस आसन का अभ्यास हो जाने पर आप इसे आसानी से कर सकेंगे |
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