What is Ayurveda? Benifits of Ayurvedic products
आयुर्वेद का मुख्य उदेश्य स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा और रोगों से बचाव करना है | रोगों से बचाव के लिए ऋषियों ने अनेक बातों पर ध्यान दिया है | आयुर्वेद के अनुसार कोई भी रोग केवल शारीरिक या केवल मानसिक नहीं होता, शारीरिक रोगों का कुप्रभाव मन पर तो मानस रोगों का कुप्रभाव शरीर पर पड़ता है | इसलिए आयुर्वेद में सभी रोगों को मनोदैहिक मानकर चिकित्सा की जाती है |
आयुर्वेद का चिकित्सक केवल रोगों के लक्षणों के आधार पर ही नहीं, बल्कि उनके साथ-साथ रोगी की आत्मा, मन, शारीरिक प्रकृति, वात, पित, कफ आदि दोषों, मालों तथा धातुओं की स्थिति को ध्यान में रखकर रोगी की चिकित्सा करता है, इसलिए आयुर्वेद लाक्षणिक नहीं सांस्थानिक चिकित्सा पद्धति है | आयुर्वेद में प्रयुक्त होने वाली प्रत्येक औषधि रसायन का रूप है, रोग-प्रतिरोधक औषधियों व् पथ्य आहार का विस्तृत विवरण विश्व को आयुर्वेद की ही देन है |
औषध चिकित्सा के साथ साथ दिनचर्या,प्रात : जागरण, प्रातः खाली पेट जल सेवन की विधि,मल त्याग की विधि, दंतधावन(दांत साफ करने की विधि), शरीर की मालिश तथा व्यायाम से लेकर वस्त्र व् आभूषण धारण आदि का विस्तृत विवरण भी आयुर्वेद में किया गया है | इसी तरह से रात्रिचर्या, रात्रि में सोने का समय, रात्रि-भोजन तथा आचार आदि का भी सम्यक वर्णन आयुर्वेद में किया गया है |
विभिन्न ऋतुओ के अनुसार किये जाने वाले आचरण, खान-पान, रहन-सहन आदि का विस्तृत उल्लेख भी आयुर्वेद में प्राप्त होता है | जिसके अनुसार आहार-विहार अपनाने से स्वास्थ्य की रक्षा होती है तथा मनुष्य रोगों से बचा रहता है |
जीवन में स्वस्थ तथा सुखी रहने के लिए धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष का वर्णन भी आयुर्वेद में प्राप्त होता है | प्रत्येक मनुष्य आचरण कैसे होना चाहिए?, व्यवहार की मर्यादाएं क्या है? इत्यादि सामाजिक, पारिवारिक, राष्ट्रिय, आध्यात्मिक एवं वैश्विक विचारों का समावेश भी आयुर्वेद में किया गया है, किस तरह के आचरण से दूर रहना चाहिए, मार्ग-गमन, स्वभाव, व्यवहार, बैठने की विधि, देखने कि विधि क्या है, अमर्यादित आचरण से कैसे बचे? आदि विषयों का भी समायोजन किया गया है | सामान्य आचार-विचार, किस से मित्रता करें, किससे मित्रता न करें, किसके साथ कैसे बोलें, सरल व सहज कैसे रहें, निरभिमानी होकर अपने चरित्र, स्वभाव एवं प्रकृति ठीक रखते हुए, दूसरों दुःख में शामिल होना तथा अपने सुख में दूसरों को शामिल करना भी आयुर्वेद सिखाता है | इसलिए आयुर्वेद भारतीय परम्परा एवं सम्पूर्ण मानव जीवन का शास्त्र तथा जीवन दर्शन है |
इस आर्टिकल में जो भो विचार हमने लिखा है वो आचार्य बालकृष्ण रचित औषध दर्शन पुष्तक में से लिया है |
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