Yoga Basic योगाभ्यासी के लिए आवश्यक निर्देश
योगाभ्यासी के लिए आवश्यक निर्देश :
१) समय :
- योगाभ्यास करने केलिए सुबह का समय उचित माना गया है | योगमय दिवस का प्रारम्भ प्रात : काल से ही करना चाहिए, योग का अभ्यास अन्य समय भी कर सकते है, लेकिन सुबह का समय अति उतम हैं | योग करने से पहले कुछ बातो का ध्यान अवश्य रखना चाहिए | योग का अभ्यास शौच क्रिया करने के बाद अथवा भोजन के लगभग ५ - ६ घंटे बाद खाली पेट ही करें |
२) स्थान :
- स्वच्छ , शांतिमय और एकान्त स्थान योग के अभ्यास के लिए उतम है | वहेली सुबह के वातावरण में और वृक्षों के समीप ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में होता है, जो स्वास्थय केलिए उतम है | किसी वृक्ष के समीप या बाग बगीचे या तालाब/नदी के किनारे पर योग करना सर्वोतम है | अगर आप घर के अंदर योग कर रहे हो तो ध्यान रहे ऐसा स्थान चुने जहा शुद्ध हवा की अवर-जवर हो और इस स्थान पर गाय के घी का दिप जलाकर या गुग्गुल आदि जलाकर इस स्थान को सुगन्धित करना अति उतम है |
- योग करने केलिए भूमि पर मुलायम दरी, चटाई या कम्बल का प्रयोग करें | खुली जमीन पर योग का अभ्यास न करें |
३) वेशभूषा (वस्त्र)
- योग का अभ्यास करते समय शरीर पर वस्त्र मुलायम हलके और सुविधाजनक होने चाहिए |
- पुरुष हाफ पैंट और बनियान आदि जैसे वस्त्रो का उपयोग कर सकते हैं | माताएँ और बहनें सलवार आदि जैसे वस्त्र पहन कर योग का अभ्यास कर सकती हैं |
४) योगाभ्यास के लिए आयु का ध्यान में लेना :
- मन को एकाग्र कर प्रसन्न मुख मुद्रा एवं उत्साह के साथ अपनी आयु,शारीरिक शक्ति और क्षमता का पूरा ध्यान रखते हुए यथाशक्ति अभ्यास करना चाहिए | तभी योग से वास्तविक लाभ उठाया जा सकता हैं | वृद्ध एवं दुर्बल व्यक्तियों को स्थूल योगाभ्यास अत्यधिक उत्साह में आकर एकाएक अधिक मात्रा में नहीं करने चाहिए | निस्सन्देह दस वर्ष से अधिक आयु वाले समस्त लोग योगाभ्यास कर सकते हैं | गर्भवती महिलाएँ कठिन आसनादि न करें | वे केवल शनैः शनै दीर्धश्वसन, मत्रोच्चारण एवं प्रणव-ध्यानयोग, योगनिंद्रा तथा अन्यान्य सूक्ष्म मानसिक योगभ्यास ही करें |
५) मात्रा (योग करने का समय)
- योग का अभ्यास अपने सामर्थ्य के अनुसार व्यायम करना चाहिए, तथापि पौने घंटे (४५ मिनट) प्रत्येक व्यक्ति को योग का अभ्यास करना ही चाहिए |
६) श्वास-प्रश्वास :
- श्वास नासिका से ही लेना और छोड़ना चाहिए, मुख से नहीं; क्योंकि नाक से लिया हुआ श्वास फिल्टर होकर अंदर जाता है |
- आसन करते समय सामान्य नियम है कि आगे कि ओर झुकते समय श्वास बहार निकालते हैं तथा पीछे की झुकते समय श्वास अंदर भरकर रखते हैं |
७) योग का क्रम :
- सबसे पहले ॐ का तीन बार उचार करना चाहिए | प्रार्थना भी कर सकते है |
- सदिलज / सचालन क्रिया / शिथिलीकरण अभ्यास / सूक्ष्म व्यायम करने चाहिए |
- योगिक जॉगिंग करना चाहिए |
- योगासन
- खड़े होकर किए जाने वाले आसन ( जैसेकि ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन,अर्ध-चक्रासन,त्रिकोणासन)
- बैठकर किए जाने वाले आसन ( भद्रासन,वज्रासन,शशकासन,मंडूकासन,वक्रासन,गौमुखासन)
- उदार के बल लेट कर किए जाने वाले आसन ( मकरासन,भुजंगासन,शलभासन)
- पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसन (सेतुबंधासन,उतानपादासन,अर्ध हलासन, हलासन, पवनमुक्तासन,शवासन)
- कपालभाति,प्रणायाम,ध्यान)
- आसन करते समय ध्यान रहे अगर कोई द्रीपार्श्ववाला आसन दायीं करवट करें, तो उसे बायीं करवट से भी करें | आसन का एक ऐसा क्रम भी निश्चित कर लें की प्रत्येक अनुवर्ती आसन से विघटित दिशा में भी पेशियों और सन्धियों का व्यायाम हो जाएँ उदाहरण : सर्वांगासन के उपरान्त मत्स्यासन, मण्डूकासन के बाद उष्ट्रासन किया जाएँ
- नवा अभ्यासी को प्रारम्भ में २ - ४ दिन मांसपेशियों और सन्धियों में पीड़ा का अनुभव होगा | इसके बावजूद भी अभ्यास चालू रखे, पीड़ा धीरे-धीरे शान्त हो जाएगी |
- लेटकर आसनों को करने के बाद जब भी उठें, बाईं करवट की और झुकते हुए उठना चाहिए |
- आसनों के अभ्यास के बाद शवासन अवश्य करें, ताकि अंग-प्रत्यंग शिथिल हो जाएँ |
८) द्रष्टि :
- एकाग्र होकर चित की स्थिति को बनाये रखते हुए योग का अभ्यास करना चाहिए | प्राणायामादि का अभ्यास आँखे बंद रखकर करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है, जिससे मानसिक तनाव एवं चच्च्लता दूर होती है |
९) पसीना आने पर :
- अभ्यास के दौरन पसीना आ जाए तो तौलिये से पोंछ लें, इससे चुस्ती आ जाती है, चर्म स्वच्छ रहता है और रोगाणु चर्म - मार्ग से शरीर में प्रवेश नहीं कर सकेंगे | योगासन- प्राणायामादि योगिक क्रिया का अभ्यास स्नानादि से निवृत करना चाहिए | अभ्यास से १५ - २० मिनट बाद ही शरीर का तापमान सामन्य होने पर स्नान कर सकते हैं |
१०) विश्राम :
- यौगिक व्यायम, योगासन आदि करते हुए जब - जब थकान हो, तब - तब शवासन / मकरासन / बालासन में विश्राम करना चाहिए |
११) सावधानियाँ :
- सभी अवस्थाओं में आसन एवं प्राणायम किये जा सकते हैं | इन क्रिया से स्वस्थ व्यक्ति का स्वास्थ्य उतम बनता है | वह रोगी नहीं होते और रोगी व्यक्ति स्वस्थ होता है; परन्तु कुछ ऐसे आसन भी होते हैं, जिनको रोगी व्यक्ति को नहीं करना चाहिए, जैसे की शीर्षासन, शलभसान,धनुरासन, चक्रासन जैसे बहुत कठिन आसन नहीं करने चाहिए | अगर करे तो किसी योगाचार्य या किसी डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही करें | थकावट बीमारी और तनाव की स्थिति में भी आसन न करें |
- महिलाओ को ऋतुकाल में ४-५ दिन कठिन आसनों का अभ्यास नहीं करना चाहिए |
१२) आहार :
- यौगिक क्रियाओं लगभग आधा घंटा पश्चात भोजन करना चाहिए | योगाभ्यासी का भोजन सात्विक होना चाहिए |
- हरी सब्जियों का प्रयोग अधिक मात्रा में करना चाहिए |
- अन्न काम तथा दालें छिलके सहित प्रयोग करना चाहिए |
- शाकाहार ही श्रेष्ट व् सम्पूर्ण भोजन की वैज्ञानिक पद्धति है, अत : शाकाहारी बनें |
- तले हुवे गरिष्ठ पदार्थो के सेवन से जठर विकृत हो जाता है |
- चाय की आदत नहीं डालनी चाहिए | एक बार चाय पिने से यकृत आदि कोमल ग्रन्थियों के लगभग ५० सेल्स निष्क्रिय हो जाते हैं | चाय भी स्वास्थ्य का एक भयंकर शत्रु है |
१३) यम - नियम :
- बिना यम - नियमों का पालन किये कोई योगी नहीं हो सकता | अत : योगाभ्यासी को अहिंसा, सत्य, अस्त्ये, ब्रम्हचर्य, एवं अपरिग्रह इन पांच यमों तथा शौच, सन्तोष, तप, एवं ईश्वर प्रणिधान इन पाँच नियमो का पालन करने में सदैव सजग रहना चाहिए और उनका पालन पूरी शक्ति के साथ करना चाहिए |
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|| धन्यवाद ||
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