PASCHIMOTTANASAN
पश्चिमोत्तानासन योग क्या है ?
पश्चिमोत्तानासन दो शब्द मिलकर बना है, 'पश्चिम' का अर्थ होता है पीछे और उत्तान का अर्थ होता है तानना | इस आसन के दौरान रीढ़ की हड्डी के साथ शरीर का पिछला भाग तन जाता है जिसके कारण इसका नाम पश्चिमोत्तानासन दिया गया है | यह स्वास्थय के लिए ज्यादा लाभदायक आसन है | यह विभिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर करने में मदद करता है |
पश्चिमोत्तानासन योग विधि और फायदा :
पश्चिमोत्तानसना दिखने में थोड़ा कठिन आसन है| लेकिन इसे धीरे-धीरे प्रेक्टिस करने पर इसे आप आसानी से कर सकते है |
तरीका (विधि):
- सबसे पहले समतोल जमीन पर दरी या चटाई बिछाये |
- अब आप दंडासन की स्थिति में बैठ जाएं |
- अब आप दोनों पैरों को सामने फैलाएं |
- पीठ की पेशियों को ढीला छोड़ दें |
- सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर लेकर जाएं |
- फिर सांस छोड़ते हुवे आगे की ओर झुके |
- अब कोसिस कीजिये अपने हाथ से पैर की उंगलियों को पकड़ने की और नाक को घुटनो से लगाने की |
- धीरे-धीरे सांस ले और धीरे-धीरे सांस छोड़े |
- और अपने हिसाब से इस अभ्यास को धारण करें |
- धीरे-धीरे इस की अवधि को बढ़ा ते रहे |
- इस प्रकार ये आसन को 3 से 5 बार करना चाहिए |
फायदा (लाभ) :
- यह आसन से रीढ़ की हड्डी, कंधो और हैम्स्ट्रिंग में खिचाव आता है |
- जिगर,गुर्दे, अंडाशय और गर्भाशय की कार्यक्षमता में सुधार लाता है |
- पाचन अंगो की कार्यक्षमता में सुधार आता है |
- रजोनिवृति और मासिक धर्म की असुविधा के लक्षणों से राहत देने में मदद करता है |
- मस्तिष्क को शांत करता है और तनाव और हल्के अवसाद से राहत दिलाता है |
- ये आसन मोटापा भी कम करता है और कई रोग को ठीक करता है |
- हाई बीपी, बाँझपन, अनिद्रा और सायनसाइटिस के लिए चिकित्सीय है |
सावधानि :
- पश्चिमोत्तानसन उनको नहीं करना चाहिए जिनके पेट में अल्सर की शिकायत हो |
- ध्यान रहे इस आसन को हमेंशा खाली पेट ही करें |
- शरूवाती दौर में इस आसन को करते समय कोई जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए |
- इस आसन को झटके के साथ कभी न करें |
- अगर आप के आंत में सूजन है तो इस आसन को बिलक्कूल ना करें |
- कमर में तकलीफ हो तो इस योग अभ्यास को नहीं करना चाहिए |
- यह आसन करने के बाद शलभास व भुजंगासन करने से कमर को राहत मिलती है |
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