Vakrasana (वक्रासन)
वक्रासन :
वक्रासन बैठकर किये जाने वाले आसनो में एक महत्वपूर्ण आसन है वक्रासन 'वक्र' शब्द से निकला है जिसका मतलब होता टेढ़ा | इस आसन में रीढ़ मुड़ी हुई होती है, इसलिए इसका यह नाम वक्रासन रखा गया है | यह आसन रीढ़ की सक्रियता को बढ़ाता है, मधुमेह से आपको बचाता है, डिप्रेशन में बहुत अहम भूमिका निभाता है |
विधि: दण्डासन में बैठकर दायाँ पैर मोड़कर बायीं जंघा के पास घुटने से सटाकर रखें (अथवा घुटने के ऊपर से दूसरी ओर भी रख सकते हैं), बायाँ पैर सीधा रहेगा | बायें हाथ को दायें पैर एवं उदर के बीच से लाकर दायें के पंजे के पास टिका दें, दायें हाथ को कमर के पीछे भूमि पर सीधा रखकर गर्दन को घुमाकर दायीं ओर कन्धे के ऊपर से मोड़कर पीछे देखें | इसी प्रकार दूसरी ओर से भी अभ्यास करना 'वक्रासन' कहलाता है, इसे ४ से ६ बार क्र सकते हैं |
साँस छोड़ते हुए आप किसी एक तरफ मोड़ते है |
धीरे धीरे साँस ले और धीरे धीरे साँस छोड़े |
लम्बा साँस लेते हुए आरंभिक अवस्था में आएं |
साँस छोड़ते हुए आप किसी एक तरफ मोड़ते है |
धीरे धीरे साँस ले और धीरे धीरे साँस छोड़े |
लम्बा साँस लेते हुए आरंभिक अवस्था में आएं |
लाभ :
१) कमर व कूल्हों की चर्बी को कम करता है |
२) मधुमेह, यकृत व् तिल्ली के लिए विशेष लाभप्रद है |
३) यह आसन कमर दर्द के लिए भी उपयोगी है |
५) यह आसन गुर्दे को प्रभावित करता है तथा मेरुदण्ड को लचीला बनाता है |
५) यह आपको रीढ़ की ऐंठन एवं मरोड़ से बचाता है |
६) इसके नियमित अभ्यास से आप डिप्रेशन पर काबू पा सकते है |
७) यह तांत्रिक तंत्र को स्वस्थ बनाते हुए इसके काम काज में फुर्ती लेकर आता है
८) वक्रासन योग के अभ्यास से पाचन क्रिया में एक तरह से जान आ जाती है जो कब्ज, अपच एवं गैस की समस्याओ से आपको बचाता है |
९) इससे पेट और पाचन क्रिया से संबंधित सभी अंगो को सक्रियता मिलती है एजाइम एवं हार्मोन के स्त्राव में मददगार साबित होता है |
१०) इस से फेफड़ो की क्षमता बढ़ाता है और फेफड़े से सबंधित ज्यादातर परेशानियों को कम करने में सहायक है |
११) इसके अभ्यास से गर्दन को भी दाएं बाएं घुमाया जाता है जिससे गर्दन के मांसपेशियां धीरे धीरे ढीला होने लगता है |
१२) यह योगाभ्यास रीढ़ की हड्डी के लिए रामबाण है | यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हुए इसको स्वस्थ बनाने में इसका बहुत बड़ा योगदान है |
सावधानियां :
५) यह आपको रीढ़ की ऐंठन एवं मरोड़ से बचाता है |
६) इसके नियमित अभ्यास से आप डिप्रेशन पर काबू पा सकते है |
७) यह तांत्रिक तंत्र को स्वस्थ बनाते हुए इसके काम काज में फुर्ती लेकर आता है
८) वक्रासन योग के अभ्यास से पाचन क्रिया में एक तरह से जान आ जाती है जो कब्ज, अपच एवं गैस की समस्याओ से आपको बचाता है |
९) इससे पेट और पाचन क्रिया से संबंधित सभी अंगो को सक्रियता मिलती है एजाइम एवं हार्मोन के स्त्राव में मददगार साबित होता है |
१०) इस से फेफड़ो की क्षमता बढ़ाता है और फेफड़े से सबंधित ज्यादातर परेशानियों को कम करने में सहायक है |
११) इसके अभ्यास से गर्दन को भी दाएं बाएं घुमाया जाता है जिससे गर्दन के मांसपेशियां धीरे धीरे ढीला होने लगता है |
१२) यह योगाभ्यास रीढ़ की हड्डी के लिए रामबाण है | यह रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाते हुए इसको स्वस्थ बनाने में इसका बहुत बड़ा योगदान है |
सावधानियां :
- पेट दर्द में वक्रासन नहीं करना चाहिए |
- घुटने का दर्द होने पर इस आसन के करने से बचना चाहिए |
- ज़्यादा कमर दर्द होने पर इसको करने से इसको बचना चाहिए |
- कोहनी में दर्द होने पर इसको करने से बचना चाहिए |
- गर्दन दर्द होने पर भी इसको करने से बचें |
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